मन को अलौकिक शांति प्रदान करती है माँ चंद्रघंटा- सुबोध शास्त्री।



नवरात्र के तीसरे दिन दुर्गाजी के तीसरे रूप चंद्रघंटा देवी के वंदन, पूजन और स्तवन करने का विधान है। इन देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंदंमा विराजमान है इसीलिये इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। इस देवी के दस हाथ माने गए हैं और ये खड्ग आदि विभिन्न अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित हैं।गायत्री शक्तिपीठ परिव्राजक सुबोध शास्त्री का ऐसा मानना है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से मन को अलौकिक शांति प्राप्त होती है और इससे न केवल इस लोक में अपितु परलोक में भी परम कल्याण की प्राप्ति होती है।

आज शहर के गायत्री शक्तिपीठ लहेरियागंज मधुबनी में परिव्राजकों ने मिलकर माँ की आराधना की, वही शास्त्री जी 09 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक मौन साधना में रह कर माता की पूजा अर्चना करेंगे।

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